Hindi Journalism Day 2023: हर साल 30 मई को मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस, जानिए क्या है इसका इतिहास
पत्रकारिता और प्रेस कानून
‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ कब मनाया जाता है?
हिंदी पत्रकारिता दिवस प्रत्येक साल 30 मई को मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे का कारण 30 मई 1826 को प्रकाशित प्रथम हिन्दी अखबार उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशन को माना जाता है.प्रेस को प्रजातंत्र का चौथा और सबसे प्रभावी स्तम्भ कहा गया है। प्रेस को भारत में पूरी आजादी दी गयी है, लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं कि प्रेस निरंकुश और अपनी मनमर्जी से कुछ भी तथा जो चाहे जिसके खिलाफ समाचार छाप दें। पत्रकारिता एक मिशन है, सेवा कार्य है। ईमानदारी, निष्ठा, योग्यता और ‘मेहनत से पत्रकारिता को अपनाना चाहिए न कि इसका दुरूपयोग करना चाहिए. आज हम इस आर्टिकल मे जानेगे कि Hindi Journalism Day 2023: हर साल 30 मई को क्यो मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस का क्या है इतिहास इन सभी पर विस्तार से बात करेगे और भारत मे पत्रकारिता के नियम और कानून क्या है ?
भारतीय संविधान और प्रेस कानून प्रेस
भारतीय संविधान और प्रेस कानून प्रेस की मनमानी और निरंकुशता पर रोक लगाते है। पत्रिका, प्रिंटिंग प्रेस या समाचार पत्र का पंजीकरण कराने से पहले हमारा सामना प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण अधिनियम से होता है। जिसमें दिये गये नियमो के अनुसार समाचार पत्र या प्रिंटिंग प्रेस का घोषणा पत्र प्राप्त किया जाता है. समाचार पत्र का प्रकाशन होने पर उसकी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) में प्रावधान हैं। जिसमें सभी भारतीय नागरिकोंको भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त होती है। जिसके अन्तर्गत प्रत्येक नागरिक अपने विचार एवं मत बिना किसी की रोक-टोक के स्वतंत्रता पूर्वक शब्द, लेख, मुद्रण या चित्र के द्वारा व्यक्त कर सकता है। उच्च न्यायालय द्वारा किये गये फैसले के अनुसार भाषण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में प्रेस स्वतंत्रता भी शामिल हैं। प्रेस आयोग ने इसका महत्व स्पष्ट करते हुए कहा था कि इसके द्वारा लोकमत स्पष्ट होता है। क्योंकि जनता समाचार पत्रो द्वारा ही सरकार की अच्छाई और बुराइयों को समझती है और अपना मत स्पष्ट करती है।
भारत में प्रेस की आजादी
हर साल 30 मई को मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस, जानिए क्या है इसका इतिहास
हमारे देश में प्रेस की आजादी बहुत व्यापक है क्योंकि पर्याप्त कारणों के बिना सरकार इस पर रोक नहीं लगा सकती है। समाचार पत्रों में प्रकाशित की जाने वाली सामग्री का चयन करना और पाठको के समक्ष रखना बड़ा कठिन कार्य है। कई बार भावावेश में आकर या मनमर्जी से प्रकाशित किये गये समाचार या लेख आदि मान हानि पूर्ण हो जाते हैं। जिसके कारण या तो सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ती है या फिर अदालतों के चक्कर काटने पड़ते हैं। झूठे, अपमानकारी लेख, व्यंग्य चित्र, समाचार आदि किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को क्षति पहुँचाने वाले है, तो वह अपमानकारी माने जाएंगे। जिन पर भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत सजा हो सकती है। अश्लील समाचार सामग्री बेचना रखना या किसी को देना भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध है। अतः समाचार पत्र अथवा लेख सामग्री में अश्लीलता नहीं होनी चाहिए। पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक नागरिक को प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, भारतीय संविधान, दण्ड संहिता, न्यायालय अवमानना अधिनियम, कापीराइट अधिनियम, डिलीवरी आफ बुक्स अधिनियम, वर्किंग जर्नलिस्ट अधिनियम, ड्रग्स एण्ड मैजिक रेमेडीन एक्ट, प्रेस परिषद अधिनियम, अपकृत्यविधि, समाचार पत्र (मूल्य निर्धारण) अधिनियम भारतीय डाकतार अधिनियम आदि अनेक जानकारी होना आवश्यक ही नहीं, नितान्त आवश्यक है।
आज पत्रकारिता एक व्यवसाय बन चुकी है। इससे आज कोई इन्कार नहीं कर सकता हैं। इस व्यवसायिकता के दौर में पत्रकारिता के क्षेत्र में सचेत रहना अतिआवश्यक है। इसके लिए हम यहाँ पर कुछ मुख्य अधिनियमों के संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं:-
प्रेस संबंधी प्रमुख कानून कौन कौन से हैं?
भारत में प्रेस कानून क्या है?
प्रेस दण्ड प्रक्रिया संहिता :-
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 95 व अन्तर्गत राज्य सरकार को यह अधिका प्राप्त है कि भारतीय दण्ड संहिता में निर्दि कुछ विशिष्ट अपराधों के लिए जो धारा 12 ए, 153 बी, 292,293, तथा 295 ए में वर्णि हैं, के उल्लघंन में यदि कोई समाचार प दण्डनीय सामग्री प्रकाशित करता है त सरकार की घोषणा पर कोई भी पुलिस अधिकारी समाचार पत्र की प्रतियाँ जब्त क सकता है।
कापी राइट अधिनियम :-
कॉपीराइट कैसे होता है
कॉपीराइट एक्ट क्या है?
कॉपीराइट के प्रकार
यह अधिनियम धारा 14 के अन्तर्ग आता है, इसके अनुसार कुछ प्रमुख बात
- किसी साहित्यिक, नाट् संगीतात्मक कृति की दशा निम्न कार्यों में से किसी के करना या किसी को प्राधिकृत करना:-
- कृति को मूल या सार रूप में दुबारा प्रस्तुत करना।
- इसे प्रकाशित करना।
- सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करना
- इसके भाषान्तर का प्रोडक्शन,
रिप्रोडक्शन प्रस्तुति या प्रकाशन ।
- इस कृति पर चलचित्र या रिकार्ड बनाना।
- इसका अनुकूलन करना ।
- अनुवाद, अडाप्टेशन आदि ।
- कलात्मक कृति की दशा में
किसी निम्न कार्य को करना या प्राधिकृत करना :-
*कृति को सार या मूलरूप मे रिपॉड्यूस करना ।
- इसका प्रकाशन ।
- चलचित्र बनाना ।
- अडाप्टेशन |
- अनुकूलन के सम्बन्ध में कोई कार्य करना।
चलचित्र की दशा में किसी निम्न कार्य को करना या किसी को प्राधिकृत करना:-
- फिल्म की प्रति बनाना।
फिल्म के दृश्य बिम्बों को सार्वजनिक रूप से दिखाना और ध्वनियों को सार्वजनिक रूप से सुनवाना ।
- किसी रिकार्ड की ध्वनि पट्टी को उपयोग में लाकर बनाना।
- फिल्म को प्रसारण द्वारा संसूचित करना ।
- रिकार्ड के संदर्भ में निम्न कार्य करना :-
- ध्वन्यंकन को सन्निविष्ट करने वाला कोई अन्य रिकार्ड बनाना ।
- इसे सार्वजनिक रूप से सुनवाना।
इसे प्रसारण द्वारा संसूचित करना।
लेखक या प्रकाशक की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी कृति का कोई अंश प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। किसी लेखक की- बचना को अपनी रचना बताकर प्रकाशित करना अथवा लेखक की पूर्वानुमति के बिना किसी नाटक को मंचित करना कापी राइट अधिनियम का उल्लंघन है।
प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण अधिनियम:-
- प्रत्येक प्रकाशित पत्र पर मुदक. प्रकाशक तथा जहाँ से वह प्रकाशित होता हैं, का उल्लेख स्पष्ट रूप में हो।
- जिला, प्रेजीडेंसी तथा डिवीजनल मजिस्ट्रेट की अनुमति प्राप्त होने पर ही मुद्रक पत्र छाप सकता है।
3 पत्र के मालिक और सम्पादक का नाम प्रत्येक अंक पर अंकित होना चाहिए। 4. मुद्रक और प्रकाशक को पत्र की भाषा और काल की जानकारी देते हुए, पत्र के मालिक का लिखित अधिकार पत्र घोषणा पत्र के साथ संलग्न कर उस पर जिला, प्रेजीडेंसी या सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट के समक्ष हस्ताक्षर करना आवश्यक हैं।
- पत्र के नाम, भाषा, काल, सम्पादक, प्रकाशक आदि में होने वाले परिवर्तन की सूचना सम्बन्धित अधिकारियों को देनी चाहिए।
- घोषणा पत्र उस स्थिति में भी बेकार या अमान्य हो जायेगा यदि तीन महीने की अवधि में दैनिक, साप्ताहिक, अर्द्धसाप्ताहिक और पाक्षिक पत्र अपनी नियमित संख्या के आधे से भी कम प्रकाशित होने लगे।
- घोषणा पत्र की स्वीकृति के बाद यदि कोई साप्ताहिक पत्र छः सप्ताह तक तथा अन्य समाचार पत्र तीन माह तक प्रकाशित नहीं हो पाता तो आज्ञा पत्र रद्द या बेकार या अमान्य हो जायेगा।
- ‘एक वर्ष तक पत्र का प्रकाशन न होने पर भी घोषणा पत्र रद्द कर दिया जायेगा।
- मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है कि वह प्रेस रजिस्ट्रार या अन्य किसी व्यक्ति की माँग पर पूरी जाँच पड़ताल का आदेश देकर पत्र का घोषणा पत्र रद्द कर देगा।
- प्रत्येक प्रकाशित पत्र की एक प्रति प्रेस रजिस्टार को तथा दो प्रतियाँ राज्य सरकार को निःशुल्क भेजनी होगी।
- प्रेस रजिस्ट्रार को पत्र का पूरा विवरण प्रत्येक वर्ष भेजना आवश्यक है, प्रेस रजिस्ट्रार के संकेत पर छापा भी जायेगा।
(सूचना बोर्ड )
प्रेस पर प्रतिबंध कब लगाया गया?
Ans.-
भारतीय प्रेस पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में पारित पहला अधिनियम 1799 में प्रेस अधिनियम की सेंसरशिप थी । यह रिचर्ड वेलेस्ली द्वारा पारित किया गया था,
30 मई को कौन सा दिवस मनाया जाता है ?
Ans -हिंदी पत्रकारिता दिवस प्रत्येक साल 30 मई को मनाया जाता है।
30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस क्यों मनाया जाता है?
Ans -हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाने के पीछे का कारण 30 मई 1826 को प्रकाशित प्रथम हिन्दी अखबार उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशन को माना जाता है।
भारत में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत कब हुई?
Ans -30 मई 1826 को प्रकाशित प्रथम हिन्दी अखबार उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशन से माना जाता है।
Hindi Journalism Day 2023: हर साल 30 मई को मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस, जानिए क्या है इसका इतिहास
भारत मे पत्रकारिता के नियम और कानून क्या है?
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