ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आधार-आधारित वेतन भुगतान का बचाव किया है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई समस्याएं सामने आई हैं. आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (Aadhaar-Based Payment System – ABPS) का उद्देश्य सरकार के लाभार्थियों तक सीधे पहुँच सुनिश्चित करना है, ताकि बिचौलियों की भूमिका को खत्म किया जा सके और योजनाओं का लाभ अधिक पारदर्शिता से लोगों तक पहुँच सके. इसके जरिए मनरेगा जैसी योजनाओं में लाभार्थियों को सीधे उनके बैंक खाते में भुगतान किया जाता है. इस व्यवस्था को ग्रामीण क्षेत्रों में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार कम करने के उद्देश्य से लागू किया गया है. परंतु, इसमें कई चुनौतियाँ और समस्याएं भी जुड़ी हुई हैं, जो लाभार्थियों को कठिनाई का सामना करने पर मजबूर करती हैं.
आधार-आधारित भुगतान से जुड़ी समस्याएँ
अक्सर देखा गया है कि आधार से लेन-देन करने पर अनेक प्रकार की समस्याएं आती हैं.उनमें से कुछ समस्याओं को हम यहां पर विस्तार से बता रहे हैं.इनके बारे में सभी को जानकारी होना बहुत जरूरी है.
बायोमेट्रिक पहचान में असफलता:
ग्रामीण इलाकों में काम करने वालों के हाथों की उंगलियों के निशान और आँखों की स्कैनिंग में कई बार आधार प्रणाली सफल नहीं होती है. मेहनती मजदूरों के हाथों में धूल-मिट्टी के कारण फिंगरप्रिंट का स्पष्ट मिलान नहीं हो पाता, जिससे आधार आधारित प्रमाणीकरण में परेशानी होती है और लाभार्थी भुगतान प्राप्त नहीं कर पाते.

तकनीकी समस्याएँ:
कई बार ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति में रुकावटें होती हैं, जिससे आधार प्रमाणीकरण में असफलता का सामना करना पड़ता है. दूर-दराज के इलाकों में नेटवर्क समस्या के कारण आधार भुगतान प्रक्रिया को पूरा करना मुश्किल हो जाता है.
आधार में नाम या जानकारी में गड़बड़ी:
आधार कार्ड में नाम, जन्म तिथि या अन्य जानकारी में त्रुटियों के कारण कई लोगों को भुगतान नहीं मिल पाता. कई मजदूरों के आधार में गलत नाम या जानकारी दर्ज होने के कारण उनकी पहचान गलत सिद्ध होती है और उन्हें भुगतान नहीं मिल पाता.
बैंकों की सीमित पहुँच:
ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों और एटीएम की कमी होती है, जिससे आधार-आधारित भुगतान को निकालना मुश्किल हो जाता है.लोगों को अपने पैसे निकालने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जो उनके लिए एक अतिरिक्त बोझ है.
बिचौलियों की भूमिका:
जहाँ आधार-आधारित भुगतान प्रणाली का उद्देश्य बिचौलियों को खत्म करना है, वहाँ कई बार यह देखा गया है कि गाँव के लोग, जिन्हें डिजिटल प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं होती, वे किसी बिचौलिया के माध्यम से ही भुगतान करवाने की कोशिश करते हैं. इस तरह से कई बार उनका कुछ हिस्सा बिचौलियों को देना पड़ता है.
आधार-आधारित भुगतान के स्थान पर वैकल्पिक समाधान
बैंकिंग प्रतिनिधि प्रणाली (Banking Correspondent Model):
ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं की कमी के कारण बैंकिंग प्रतिनिधि एक अच्छी व्यवस्था हो सकती है. इन प्रतिनिधियों को गाँवों में तैनात किया जा सकता है, जो लाभार्थियों को उनके घर पर ही भुगतान की सुविधा प्रदान करें. इससे लाभार्थी बिना आधार प्रमाणीकरण के भी सीधे पैसा निकाल सकते हैं और बैंकों पर निर्भरता कम हो जाएगी.
मोबाइल-बैंकिंग और डिजिटल वॉलेट:
ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल वॉलेट का उपयोग बढ़ावा दिया जा सकता है.मजदूरों के मोबाइल नंबर को बैंक खातों से लिंक करके डिजिटल वॉलेट का उपयोग किया जा सकता है. इसके माध्यम से लाभार्थी अपने मोबाइल फोन पर एक कोड के माध्यम से भुगतान प्राप्त कर सकते हैं. इस प्रणाली में आधार प्रमाणीकरण की आवश्यकता नहीं होगी और मजदूर कहीं से भी अपना भुगतान प्राप्त कर सकते हैं.
ऑफलाइन भुगतान समाधान:
कई तकनीकी समस्याओं के कारण ऑनलाइन भुगतान में असफलता होती है, इसलिए सरकार ऑफलाइन भुगतान का भी विकल्प दे सकती है. इसे आधार की बजाए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण से मुक्त रखा जा सकता है। जैसे पंचायत या ब्लॉक स्तर पर सभी भुगतान एक तय समय पर नकद दिए जा सकते हैं. इससे डिजिटल विभाजन की समस्या भी हल हो सकती है.
स्मार्ट कार्ड प्रणाली:
आधार के बजाय स्मार्ट कार्ड का उपयोग करने की योजना शुरू की जा सकती है, जिसमें लाभार्थियों को एक स्मार्ट कार्ड दिया जाएगा, जिसे बैंक खातों से लिंक किया जा सकता है. इसका उपयोग एटीएम में या बैंक शाखा में भुगतान के लिए किया जा सकता है. स्मार्ट कार्ड में बायोमेट्रिक की बजाय पिन आधारित प्रमाणीकरण की सुविधा हो, जिससे लाभार्थियों को आधार प्रमाणीकरण की समस्याओं से बचाया जा सके.
स्वायत्त ग्राम पंचायत समिति:
ग्राम पंचायत को अधिक अधिकार और संसाधन देकर वेतन भुगतान की जिम्मेदारी दी जा सकती है. गाँव के स्तर पर अगर ग्राम पंचायत स्वयं ही मजदूरों का रिकॉर्ड रखे और भुगतान करे, तो इससे बिचौलियों और आधार प्रमाणीकरण की आवश्यकता को खत्म किया जा सकता है. पंचायत स्तर पर अधिक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करके यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है.
बायोमेट्रिक के स्थान पर ओटीपी आधारित भुगतान:
कई बार बायोमेट्रिक फेल हो जाते हैं, इसलिए लाभार्थियों के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजकर भुगतान की सुविधा प्रदान की जा सकती है. यह अधिक सरल और सुलभ व्यवस्था होगी, जिससे लाभार्थी अपने भुगतान को सरलता से प्राप्त कर सकेंगे. इसके साथ ही मोबाइल का उपयोग डिजिटल भुगतान को भी बढ़ावा देगा.

AEPS की समस्याएं और प्रभावी वैकल्पिक समाधान
आधार-आधारित वेतन भुगतान प्रणाली में कई खामियाँ हैं, जो लाभार्थियों के लिए कई समस्याओं को जन्म देती हैं. हालांकि यह प्रणाली पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लागू की गई है, लेकिन इसकी असफलताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ग्रामीण क्षेत्रों में आधार आधारित प्रमाणीकरण के विकल्प के रूप में बैंकिंग प्रतिनिधि प्रणाली, मोबाइल-बैंकिंग, ऑफलाइन भुगतान समाधान, स्मार्ट कार्ड प्रणाली, स्वायत्त पंचायत समिति और ओटीपी आधारित भुगतान जैसी व्यवस्थाओं का उपयोग किया जा सकता है. इन विकल्पों से ग्रामीण क्षेत्रों में लाभार्थियों को वेतन प्राप्त करने में अधिक सुविधा होगी और वे आधार आधारित समस्याओं से मुक्त रह सकेंगे. सरकार को इन विकल्पों पर विचार कर ग्रामीण विकास योजनाओं में अधिक सुधार करना चाहिए.
FAQ
AEPS क्या है?
AEPS आधार सक्षम भुगतान प्रणाली भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ( NPCI ) द्वारा विकसित एक भुगतान प्लेटफ़ॉर्म है जो आधार-आधारित प्रमाणीकरण के माध्यम से वित्तीय लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है.
Aeps सर्विस से ट्रान्जेक्शन करने के लिए क्या-क्या चाहिए?
अपने क्षेत्र में बैंकिंग करेंसपोंडेट पर जायें .
PoS मशीन में अपना 12 अंकों का आधार नंबर दर्ज करें .
ट्रांजेक्शन प्रकार को चुनें – नकद जमा, निकासी, मिनी स्टेटमेंट, फंड ट्रांसफर, बैलेंस .
आधार कार्ड से पैसे निकालने वाली मशीन को क्या कहते हैं?
माइक्रो एटीएम/ POS