गांवों के आत्मनिर्भर और स्वावलंबी होने से ही देश का स्वाभिमान जाग्रत होगा। कृषि में नवाचार के प्रयास ही किसानों को मंदी के दौर से बाहर निकालेंगे। साथ ही आधुनिक तकनीक के साथ मिश्रित खेती और बहुफसली खेती से भी आय दोगुनी होने की उम्मीदें जवां हो सकती हैं। निजी स्वावलंबन से ही देश में आत्मनिर्भरता आएगी। आत्मनिर्भता से समृद्धि और समृद्धि से स्वाभिमान जाग्रत होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से पूर्व ही मैंने कई बार लिखा है कि कोरोना महामारी के चलते आसन्न आर्थिक संकट के दौर से देश को बाहर निकालने में एक बार फिर किसान ही हनुमान की भूमिका निभाएंगे। समय की जरूरत है कि जागरूक तबका खुद को जामवंत की भूमिका में बदल ले। प्रत्येक व्यक्ति को स्वावलंबी बनना होगा। प्रत्येक परिवार को स्वावलंबी बनना होगा। प्रत्येक गांव को स्वावलंबी बनना होगा। प्रत्येक ब्लॉक को स्वावलंबी बनना होगा। प्रत्येक जनपद को स्वावलंबी बनना होगा। तब कहीं जाकर राज्य और देश स्वावलंबन की दौड़ में शामिल हो पाएगा। आत्मनिर्भरता जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में साबित करनी होगी। अब सिर्फ ‘प्रोडक्शन’ भर से काम चलने वाला नहीं है। ‘बाय-प्रोडक्शन’ और ‘री-प्रोडक्शन’ से आगे ‘मल्टी प्रोडक्शन’ की ओर बढ़ना होगा। सिर्फ ‘डिजिटल क्रांति’ ही काफी नहीं होगी, बल्कि पुनः ‘हरित क्रांति’, ‘श्वेत क्रांति’, ‘पीली क्रांति’ और ‘नीली क्रांति’ के अवसर उपलब्ध कराने होंगे। ‘सिंगल क्रॉप’ खेती के बजाय ‘डबल क्रॉप’ या ‘मल्टी क्रॉप’ भी आवश्यक होंगे। हार्टिकल्चर, डेयरी के अतिरिक्त सेरीकल्चर, गोट फार्म, पॉल्ट्री फॉर्म, फिस फॉर्म की दिशा में तेजी से काम करना पड़ेगा। देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से गति देने के लिए 130 करोड़ भारतीयों को समेकित प्रयास करना होगा, ताकि विकास की गाड़ी पटरी पर दौड़ती नज़र आए। एक भी नागरिक अगर छूटा तो देश को आत्मनिर्भर बनाने की चेन कमज़ोर होगी। इसलिए देश का प्रत्येक नागरिक अपना सौ फीसदी योगदान करने को तैयार हो रहा है। निश्चित रूप से कोरोना काल के बाद भारत दुनिया के लिए एक रोल मॉडल साबित होगा। भारत दुनिया में सबसे तेजी से उबरने वाला देश बनेगा। दुनिया देखेगी कि किस तरह भारत चुनौतियों का न सिर्फ सामना करना जानता है बल्कि उससे उबरने का माद्दा भी रखता है। #आत्मनिर्भरभारतअभियान